सौगात !
चारों ओर छाइल गहन घनेरिया ,
प्रदूषण सुरज के लीलले जात बा ।
अइसन फइलल सभी ओर अनहरिया,
आगे कुछ भी तनिको ना दिखात बा ।
पास-पास बनल जवन ऊंच अटरिया,
भोरे के धूप दूर भइल जात बा ।
धुंआ से भरि गइल अइसन नगरिया
ओ में सांस लिहल मुश्किल बुझात बा।
अतिक्रमण से सकत भइले डगरिया ,
सब शहर के बिगड़ रहल हालात बा ।
प्रदूषण के फइलल अइसन चदरिया ,
बीमारी के मिल रहल सौगात बा ।
- भरत मिश्र प्राची , जयपुर
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