पाक अच्छा पड़ौसी बन न पाया !
पाक आज तक अच्छा पड़ौसी बन न पाया ,
जब
से अलग हुआ,तब
से दुश्मनी निभाया।
हर
पल धोखा दिया
आजतक उसने
हमको ,
जब
भी हमने सह
मैत्री का
हाथ बढ़ाया ।
दुःख -सुख में
पहले पड़ौसी
काम आता हैं
,
इस
तथ्य को
आजतक नहीं
समझ वह पाया।
मिलन हेतु जो
खोल दिए बंद
द्वार हमने
,
आतंकवादियों की हीं घुसपैठ कराया ।
तड़प रहे जन-जन
दोनों ओर
सह मिलन को
,
कठोर ह्रदय पाक
का अबतक पिघल न पाया
।
सीमा पर बेवजह तनाव बना रहता हैं ,
निर्दोष लहू सदा पाक ने बहुत बहाया।
पहले तो अंग्रेज लड़ाये हम दोनों को ,
आज भी हम लड़ रहे,ऐसा पाक बनाया।
उसके मन में जहर आजतक जो घोला है ,
बार-बार कोशिश की पर नहीं निकल पाया।
भारत-पाक मिल सके ,नहीं चाहता कोई ,
इसलिए समय -समय पर पाक को भड़काया !
- भरत मिश्र
प्राची , जयपुर
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