Monday, January 8, 2018

bhojpuri rachna नीमन पड़ौसी बन न पवलसि !

नीमन  पड़ौसी बन पवलसि !
पाक आजु तक नीमन पड़ौसी बन पवलसि ,
जब से भइल अलग,तब से दुश्मनी निभवलसि।
हम  कई बार बढ़वनी  दोस्ती खातिर  हाथ ,
पर हर बार   धोखा के ही हाथ बढ़वलसि
मिलन खातिर चलववनी सदभावना गाड़ी ,
ओही में आतंकवादी बम भेजववलसि
शांति के समर्थक हमर देश सदा से रहल ,
युद्ध खातिर हमरा के हमेशा उकसवलसि
दुखे -सुखे पहिले पड़ोसी  आवेला काम,
नीमन बात आज तक ना समझ पवलसि।
पड़ौसी धरम सही मायने में का होला ,
गलत संगति में पड़ि के आज तक समझलसि।
अइसन से सावधानी बरते के चाहीं ,
                         जे आजु तक नीमन पड़ौसी बन ना पवलसि

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