सफेदपोश वालों का बोलबाला हैं , तन गोरा दिखता पर मन काला हैं !
कोई विभाग बच नहीं पाया इनसे,जहाँ हाथ डालो वहीं नया घोटाला हैं !!
बदल गई अपराध की परिभाषाएं , बगल में बंदूक ,हाथ कंठी माला हैं !
सौदागरों के हाथ बिक रहा यह देश , लुटने वाला ही सबका रखवाला हैं !
घूम रहें है निडर हो अंगरक्ष के साथ ,देश में हर माल इनका निवाला है !
संसद का गलियारा सशंकित आज , कोई गंभीर संकट आनेवाला है !
समझौता की जिस नीति पर है पांव, गिरने से न कोई बचानेवाला हैं !
नाटक करने में सभी हैं माहिर यहां , एक से बढ़कर एक नौटंकीवाला हैं !
इस तरह के हालात का काला धन, लगता नहीं कभी वापिस आनेवाला है !!
- भरत मिश्र प्राची , पत्रकार , जयपुर ,09414541326