Friday, October 31, 2014

सफेदपोश वालों का बोलबाला हैं तन गोरा दिखता पर मन काला  हैं !
कोई विभाग बच नहीं पाया इनसे,जहाँ हाथ डालो वहीं नया घोटाला हैं !!
बदल  गई अपराध की परिभाषाएं बगल में बंदूक ,हाथ कंठी माला हैं !
सौदागरों के हाथ बिक रहा यह देश लुटने वाला ही सबका रखवाला हैं !
घूम रहें है निडर हो अंगरक्ष के साथ ,देश में हर माल इनका निवाला है !
संसद का  गलियारा सशंकित आज कोई गंभीर संकट आनेवाला है !
समझौता की जिस नीति पर है पांवगिरने से न  कोई बचानेवाला हैं !
नाटक करने में सभी हैं माहिर यहां , एक से बढ़कर एक नौटंकीवाला हैं !
इस तरह  के हालात का काला धनलगता नहीं कभी वापिस आनेवाला है !!
                               - भरत मिश्र प्राची , पत्रकार , जयपुर ,09414541326 

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