वर्तमान केन्द्रीय खान मंत्री शीशराम ओला एवं हिन्दुस्तान कॉपर इकाई के अध्यक्ष सतीशचंद्र गुप्ता की सकारात्मक सोच ने ताम्र उद्योग को जो नया विकसित स्वरूप प्रदान किया है उसका जीता-जागता उदाहरण इस क्षेत्र में स्थापित खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लैक्स के वर्तमान उत्पादन दर में हो रही निरन्तर वृध्दि दर एवं बदलता परिवेश है। आज यह उद्योग निरन्तर मुनाफे की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। ताम्र धातु खनन के विकास की भावी योजनाएं एवं क्षेत्र के बदले उल्लास भरे हालात, शेखावाटी क्षेत्र के उज्जवल भविष्य के परिचायक बनते जा रहे हैं। जहां शेखावाटी के गर्भ में खेतड़ी खदान के तहत बनवास व आस-पास के क्षेत्र में संभावित 1.3प्रतिशत ग्रेड का 59 मिलियन टन ताम्र अयस्क होने का अनुमान है जिसे वर्षों तक खनन किया जा सकता है। वर्तमान में धातु बाजार में निरन्तर बढ़ते ताम्बे के भाव एवं उद्योग में निरन्तर हो रहे उत्पादन से हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड को बेहतर लाभांश की दिशा की ओर ले जाने में शेखावाटी क्षेत्र में स्थित इस खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लैक्स यूनिट का महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र से ताम्र उत्पादन के साथ-साथ गंधकाम्ल का भी उत्पादन बाई प्रोडक्ट के रूप में निरन्तर हो रहा है। पूर्व में यहां से खाद भी उत्पादित होता रहा है जो फिलहाल बंद है। नये सर्वे में इस क्षेत्र से मिली स्वर्ण धातु अयस्क की उपस्थिति शेखावाटी क्षेत्र में ताम्र उत्पादन के साथ-साथ स्वर्ण उत्पादन का नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए क्षेत्र का भविष्य बदल सकती है। शेखावाटी क्षेत्र में उभरती वर्तमान में धातु खनन की संभावनाएं इसके उज्ज्वल एवं प्रगतिमय भविष्य का द्योतक है। इस दिशा में इस क्षेत्र से जुड़े उद्योगपति, जनप्रतिनिधि, बुध्दिजीवी वर्ग में सकारात्मक सोच, चिंतन एवं रचनात्मक सहयोग की महती आवश्यकता है। शेखावाटी क्षेत्र के विकास में वर्तमान केन्द्रीय खान मंत्री की भूमिका काफी महत्व हो सकती है जिनके प्रयास से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का ध्यान इस दिशा की ओर रचनात्मक दृष्टिकोण्ा से आगे बढ़ सके। इस क्षेत्र की बेरोजगार युवा पीढ़ी रोजगार पाने की लालसा में आशा भरी दृष्टि लिये प्रतीक्षारत दिखाई दे रही है जहां खनन को लेकर क्षेत्र में अनेक तरह की विकास की संभावनाएं उभरती नजर आ रही हैं। इस दिशा में इस क्षेत्र से जुड़े देश के कोने-कोने में फैले उद्योगपतियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो सकती है जिनके सहयोग में शेखावाटी क्षेत्र का उज्ज्वल भविष्य समाहित है।
देश में तांबे का उत्पादन प्रारंभ काल से ही राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण रहा है। रक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ संचार एवं जनोपयोगी उत्पादन में इसके प्रयोग को देखा जा सकता है। देश में तांबे की कुल खपत का मात्र 50 प्रतिशत तांबा ही सार्वजनिक क्षेत्र में स्थित इकाइयों से प्राप्त हो सका है जबकि देश में तांबे की अपनी खदानें है। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र सीकर, झुंझनूं जिले में ही 50 मिलियन टन से अधिक ताम्र अयस्क होने का अनुमान है। भारतीय भूगर्भ विज्ञान द्वारा इस दिशा में अनुसंधान का कार्य जारी है जिसके द्वारा अन्वेषण में वर्तमान हालात में प्राप्त ताम्र अयस्क की पट्टियों से कई वर्षों तक तांबा निकाला जा सकता है। तांबे के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इस कदम को और सशक्त बनाने की महती आवश्यकता है। आज इस क्षेत्र में पहले से काफी उत्पादन बढ़ा है जिससे लगातार यहां लाभांश की स्थिति देखी जा सकती है। भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन एन।एम.डी.सी. एवं नाल्को, जिसकी स्थिति पूर्व में ताम्र उद्योग से बेहतर नहीं रही है, आज ये दोनों प्रतिष्ठान नवरत्न की श्रेणी में घोषित किये जा चुके हैं। इसी मंत्रालय के अधीन कॉपर उद्योग की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। जहां निरंतर लाभांश के उभरते हालात देखे जा सकते हैं। आज यह उद्योग भी नवरत्न की दिशा में बढ़ता नजर आने लगा है। देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले इस महत्वपूर्ण उद्योग को भी शीघ्र नवरत्न की श्रेणी में शामिल किये जाने की महती आवश्यकता है। जिससे यह उद्योग पहले से भी कहीं ज्यादा राष्ट्रहित में उत्पादन एवं उपयोग की दिशा में बेहतर उपयोगी सिध्द हो सके। जिससे भारत के रणबांकुरे एवं उद्योगपतियों की जन्मस्थली राजस्थान के इस शेखावाटी भाग का गौरवमयी इतिहास बन सके।
-स्वतंत्र पत्रकार, डी-9, IIIए, खेतड़ीनगर-333504 (राज.)