Saturday, February 17, 2018

अपने अपनों पर धावा बोला !

अपने अपनों पर धावा  बोला !
भारत ने जब भी पाक द्वार खोला ,
आतंकी ने हमपर हमला बोला  
बहा सदा निर्दोष लहू हीं इसमें ,
देख इसे पाक का मन नहीं डोला
फूट का बीज जो अंग्रेज बो गये ,
बन गया वहीं आज यहां हथगोला। 
पाक पड़ोंसी कभी नहीं बन पाया ,
इस तरह का जहर उसके मन घोला। 
आज अपने हीं दुश्मनी कर बैठे ,
भड़का रहे पहने संत का चोला  
बचा ले गया आंतकवादियों को ,
अपने हीं पत्थरबाजों  का टोला  
किस किस पर सेना करे प्रहार यहां ,
जब अपने अपनों पर धावा  बोला  

            - भरत मिश्र प्राची,  जयपुर     

Wednesday, February 14, 2018

valentine day par youaon ke liye sandesh ! माई - बाप के करनी !


    माई - बाप के करनी !
माई - बाप के करनी कभी न भुलाई ,
जे एके भुलि जाई ,कभी सुख न पाई।
सारा सुख त माई - बाप के अचरे बा ,
जहां माई - बाप नइखे ,सब खतरे बा।
जे समझी ,माई - बाप के ना रुलाई ,
माई - बाप के......... ......न भुलाई। १।
देश में रहीं या परदेशे हीं जाई ,
माई - बाप के यादि ,हर जगहे आई।
जीवनभर रउवां कतनों करीं कमाई ,
माई - बाप के कमी ,पुरा न हो पाई।
जे समझी ,माई - बाप के ना रुलाई ,
माई - बाप के......... ......न भुलाई। २।
माई - बाप के गोद में हीं जन्नत बा ,
ओकरे पास हीं प्यार भरल दौलत बा।
माई - बाप के सेवा से सबकुछ मिली ,
जे ओकरा के ठुकराई ,उ दुःख झेली।
जे समझी ,माई - बाप के ना रुलाई ,
माई - बाप के......... ......न भुलाई।३।
- Bharat mishra prachi, journlist jaipur

Tuesday, January 30, 2018

भूल गइल त्योहार

भूल गइल त्योहार
छूटल गांव ,भूल गइल त्योहार
ढ़ूंढ़त रहनी गांव जइसन प्यार,
छूटल गांव ,भूल गइल त्योहार।1।
चिउरा,दही,तिलवा,भुजा छूटल ,
छूट गइल सब हीत न्योतोहार ।
शहर में जहवां हम रहत बानी ,
ओहिजा बा सभी के मनमानी ।
तरस गइनी पावे खातिर प्यार ,
छूटल गांव ,भूल गइल त्योहार। 2 ।
सब शहर के बा एके कहानी ,
जहां शुद्ध नइखे हवा व पानी ।
हर दिन होते रहेला तकरार ,
छूटल गांव ,भूल गइल त्योहार।3 ।
अगल बगल के ना जाने कोई ,
मतलब के हीं वहां दोस्त होई ।
पड़ोस चिन्हें से करे इन्कार ,
छूटल गांव ,भूल गइल त्योहार। 4 ।
- भरत मिश्र प्राची, पत्रकार , जयपुर

Tuesday, January 23, 2018

सन्देश

सन्देश
जब से गइल बाड़ तू विदेश बाबू ,
तब से भूल गइल अपन देश बाबू
तोहरा के यादि करे गांव के प्याऊ ,
तोहरा यादि में बिल्ली करे म्यांऊ
सब भूलि गइल बाड़ संदेश बाबू ,
जब से गइल बाड़ तू विदेश बाबू 1
गांवे  के मिट्टी आबाद करेला ,
बाहर के पइसा बर्बाद करेला
सब जानि के बाड़ मदहोश बाबू ,
जब से गइल बाड़ तू विदेश बाबू 2
पढ़ला -लिखला के मतलब भुला गइलs ,
चकमक के  दुनियां में सब लुटा गइलs
खो गइल बाड़ सब अपन होश बाबू ,
जब से गइल बाड़ तू विदेश बाबू 3  
समय रहते चेतs सबे ठीक ठाक ,
जहां भी रहब तूरही ऊंची नाक
इहे  सदा रहल  हमर सन्देश बाबू

जब से गइल बाड़ तू विदेश बाबू 4  

Saturday, January 13, 2018

सौगात !

       सौगात !
चारों ओर छाइल गहन घनेरिया ,
प्रदूषण सुरज के लीलले जात बा । 
अइसन फइलल सभी ओर अनहरिया,
आगे कुछ भी तनिको ना दिखात बा । 
पास-पास बनल जवन ऊंच अटरिया,
भोरे के धूप दूर भइल जात बा । 
धुंआ से भरि गइल अइसन नगरिया
ओ में सांस लिहल मुश्किल बुझात बा। 
अतिक्रमण से सकत भइले डगरिया ,
सब शहर के बिगड़ रहल हालात बा ।  
प्रदूषण के फइलल अइसन चदरिया ,
बीमारी के मिल रहल सौगात बा । 
         - भरत मिश्र प्राची , जयपुर 

Monday, January 8, 2018

bhojpuri rachna नीमन पड़ौसी बन न पवलसि !

नीमन  पड़ौसी बन पवलसि !
पाक आजु तक नीमन पड़ौसी बन पवलसि ,
जब से भइल अलग,तब से दुश्मनी निभवलसि।
हम  कई बार बढ़वनी  दोस्ती खातिर  हाथ ,
पर हर बार   धोखा के ही हाथ बढ़वलसि
मिलन खातिर चलववनी सदभावना गाड़ी ,
ओही में आतंकवादी बम भेजववलसि
शांति के समर्थक हमर देश सदा से रहल ,
युद्ध खातिर हमरा के हमेशा उकसवलसि
दुखे -सुखे पहिले पड़ोसी  आवेला काम,
नीमन बात आज तक ना समझ पवलसि।
पड़ौसी धरम सही मायने में का होला ,
गलत संगति में पड़ि के आज तक समझलसि।
अइसन से सावधानी बरते के चाहीं ,
                         जे आजु तक नीमन पड़ौसी बन ना पवलसि