होली का रंग
सभी के संग
करे न तंग।
२
घर आँगन खुशियां भर जाए ,
दुश्मन भी दुश्मनी भुलाये ।
आओ ! हमसब गले लग जाएं
होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
- भरत मिश्र प्राची , पत्रकार , जयपुर
9414541326
फ़ाग गीत
बहल बसंती बयार जब , बउरायल मनवा होरी में ,
ढोलक ढाल मजीरा लेकर , निकल पड़ल सब खोरी में।
केकर- केकर हाल बताई , केकर -केकर चाल बताई ,
नवका- नवकी , बुढ़वा -बुढ़िया बउरायल सब होरी में।
घर- घर में भांग घोराइल , जगह- जगह स्वांग रचाइल,
गावत फ़ाग ख़ुशी से झूमत , घूम रहल सब होरी में।
रंग , गुलाल गुलाब छितराइल, बेदर्दी मौसम इतराइल ,
बाग बगीचा घर गलीचा , गमक रहल सब होरी में।
अइसन नशा फ़ाग के आइल , दुश्मन भी दुश्मनी भुलाइल ,
हाथ बढ़ाकर , गले लगाकर , मिल रहल सब होरी में.
देखीं जब सबके मुस्काइल , समझी बसंत यहां पर आइल ,
छुटे लागल हंसी फब्बारा , मस्त हो गइल सब होरी में।
जे पर चाहीं जे रंग डालीं , जे चाहीं रउआ उ पा लिहीं ,
अइसन मौका फिर ना आई , लुफ्त उठा लीं होरी में।
आजु केहु से ना खिसियाई ,प्रेम रंग सब पर बरसाईं ,
भूल जाई सब वैर भाव , गले लगा लीं होरी में।
करुआ लगे न सबके बोलीं , करत आजु सब ठिठोली ,
फिर भी रउआ सोंच समझी के , कदम बढाईं होरी में
- भरत मिश्र प्राची ( कवि, लेखक , पत्रकार ) जयपुर राजस्थान
दुश्मन भी
दुश्मनी भुलाये ।