Monday, February 29, 2016

लोकतंत्र में छलियो का राज !

लोकतंत्र में छलियों  का राज !
-भरत ​मिश्र  प्राची
     राजतंत्र में सदा से ही बल प्रभावी रहा है। ​जसके पास ताकत रही है वहीं शासन f​कया है। हर युग का इतिहास इसका साक्षी है पर लोकतंत्र में छल प्रभावी रहा है। ​जिसने  ज्यादा जो भरमाया, उसने ही यहां राज चलाया। इसका प्रमाण समय - समय पर सत्ता  परिवर्तन  के बदलते स्वरुप में देखा जा सकता है। देश  में आजादी के बाद स्थापित  लोकतंत्र में सत्ता की ताकत जनता के हाथ जरूर आई  पर कब्जा छलियों का ही रहा। अपने वाक बुद्धि  की चतुरता से जिसने  जनता को प्रभावित कर लिया , उसने सत्ता पर कब्जा जमा इस परिवेश  ने लोगों में आपसी सदभाव, प्रेम को समाप्त कर रंग भेद नी​ति  का स्वरुप ज्यादा उजागर  ​किया है। ​जिससे ​विकास कम ​विनास ज्यादा हुआ। आज उसी का प​रिणाम है कि  देश आजादी के इतने वर्ष  बाद भी सबकुछ रहते हुए आ​र्थिक  गुलामी से जूझ रहा है। अपने ही लोगों के कारण आतंकवाद के बीच से गुजर रहा है। जहां देश  की अ​स्मिता  को सदैव चुनौति  ​मिल रही है।
        इस तरह के हालात में बदलते लोकतंत्र के स्वरुप में जो ​घिनौनी तस्वीर उभर कर ​  विश्व पटल पर सामने रही है, शर्म  से सभी का ​सिर झुका जा रहा है, जहां संसद एवं ​विधान सभा के प​वित्र आंगन विचार ​विमर्श  के बजाय आपस में फूहड़ परिवेश  को उजागर करते मिलते  है। जहां सड़कनुमा गाली - गलौज से लेकर हाथापाई  तक नौबत देखी जा सकती है। जहां एक दूसरे पर कीचड़ उछालते देर नहीं लगती।
      काला धन बटोरने में सभी मशगूल है पर अपने को सही एवं औरों को गलत ठहराने की कला में सभी ​निपुण है। यहीं कारण है ​िक  छलियों का साम्राज्य ​िदन दुनी रात चौगुनी पसरता जा रहा है जहां मुनाफाखोरों पर ​िनयंत्रण के बजाय खुली छूट दे दी जाती है ​िजससे महंगाइर् बढ़ती जाती है। यहीं कारण है ​िक  प​िरवतर्न सत्ता के वावयूद भी आम लोगों को राहत नहीं ​िमल पा रही है। ​िजन मुद््दों को लेकर सत्ता प​िरवतर्न का दौर जारी है , वे मुद््दें आज भी जीवन्त ही नहीं , ​िवस्तार से अपने पग पसारते जा रहे है। देष की अवाम समस्याओं के बीच ​िदन पर ​िदन उलझती जा रही है और ये बड़े सहज ढंग से ​िसयासती चाल से एक दूसरे के ​िसर दोश का ​िठकरा फोड़ अपने आप को पाक सा​िबत करने में सफल हो जाते। यहीं कारण है ​िक आज देष में सत्त्ाा प​िरवतर्न के वावयूद भी समस्याएं घटने के वजाय बढ़ती जा रही है।
      इस तरह के हालात के बीच केन्द्र में  सत्ता प​िरवतर्न हुआ, साथ ही राजस्थान, ह​िरयाणा, जम्मू - कष्मीर, ​िदल्ली, में भी सत्ता प​िरवतर्न हुआ  पर इन जगहों पर प​िरवतर्न ने कोइर् नया इ​ितहास रचा हो ऐसा कुछ नहीं ​िदखाइर् देता रोजगार , महंगाइर्, भ्रश्टाचार के मामले ज्यों के त्यों नजर रहे है। मल्टीनेषल कंप​िनयों एवं भारतीय बाजार पर ​िवदेषी सामानों की भरमार के हालात आवष्य नजर आने लगे है। इस तरह के हालात देष में महंगाइर् बढ़ाने एवं युवा पीढ़ी को बेरोजगार करने में ज्यादा कारगर सा​िबत हो सकते है। जब तक देश का विनिवेश  भारतीय अस्मिता  के साथ नहीं जुड़ता तब तक विनिवेश  के बढ़ते कदम देश  ​हित  में हो सकेगें कह पाना मुश्किल  होगा।
      जहां आज के नेतृृत्व में छलियों  का राज हो, हर तरह के माफियाओं का बोलबाला हो, ऐसे हालात में कालाधन बाहर से लाना तो दूर की बात देश  के भीतर ही काला धन से दूर होना कतई  संभव नहीं। काला धन बटोरने एवं कालाधन को बचाने के ​लिये ही लोग सत्ता  तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करते इस तरह के लोगों से जो स्वयं ही दल दल में फंसे हो , हर तरह के अनै​तिक कार्य  से जुड़े हो , जो सत्ता ह​थियाने के ​लिये हर तरह के अनै​तिक कार्य  कर सकते हो , नै​तिकता की बात सोचना बेइर्मानी होगी। इस तरह के लोगों के बीच सत्ता प​रिवतर्न का दौर कभी भी देश  एवं अवाम को समस्याओं से निजात नहीं ​दिला पायेगा। साफ छ​वि  वाला नेतृृत्व ही भ्रष्टाचार  रहित साम्राज्य स्थपित कर सकता है जहां छलियों का राज हो। इस विषय  पर राष्ट्रहित  में सोचने वाले सभी देश  प्रेमीजनों को मंथन करना चा​हिए एवं लोकतंत्र में बढ़ते छ​लियों, मा​फियाओं के कदम रोकने का साथर्क प्रयास करना चा​हिए। तभी सत्ता प​रिवतर्न का अर्थ  साथर्क हो सकेगा। सभी को ​मिलकर भारतीय सं​विधान का स्वरूप ऐसा तय करना चाहिए ​जिससे लोकतंत्र में छ​लियों का साम्राज्य समाप्त हो!
एफ -2 सत्यम,सत्यम् ​शिवम्  ​प्लॉट  नं. 120-121 जयकरनी नगर, निवारू  रोड, झोटवाड़ा, जयपुर (राज.)