Saturday, October 18, 2014

   जयपुर जिला कलेक्टर ,,श्री कृष्ण कुणाल जी  से मिलने एक दिन उनके कार्यालय जब गया तो उनके पीए ने बताया कि साहब आज किसी से मिल नहीं रहें हैं।  आज मीटिंग में व्यस्त रहेंगें।  मैंने पीए से अनुरोध किया कि मेरा कार्ड अंदर भेज दें यदि समय मिला तो ,  चाहूंगा।  मेरे अनुरोध पर पीए ने मेरा कार्ड अंदर भेज दिया।  मैं पीए  के कार्यालय में जबाब आने तक इंतजार करने लगा।  कुछ देर बाद कार्यालय का चपरासी मेरे पास एक ग्लास पानी एवं ग्रीन टी कप रखी ट्रे  के साथ हाजिर हुआ तथा निवेदन किया कि आप चाय पानी तब तक लीजिये , साहब जैसे ही मीटिंग से फ्री होंगे , आपको बुला लेंगे।. पूरे  जीवन में किसी अधिकारी दवारा इस तरह आदर भाव मैंने पहली बार देखा , मन ही मन इस भाव को प्रणाम किया।  कुछ देर बाद जैसे ही बैठक समाप्त हुई , अंदर से मिलाने का बुलावा आ  गया।  अंदर प्रवेश करते ही जिला कलेक्टर महोदय ने बड़े ही सहज ढंग से कहा कि बैठक के कारण  आपको प्रतीक्षा करनी पड़ी , इस बिलम्ब के लिए क्षमा चाहता हूँ।  अब आप बताएं कैसे आना हुआ।  इस व्यवहार ने तो मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि  इस देश में इस तरह के भी सरल एवं सहज व्यकितत्व वाले उच्च अधिकारी भी हो सकते है।  मैंने अपना निवेदन उनके पास रखा और उन्होने तत्काल कार्यवाही के आदेश सामने ही पीए को बुलाकर जारी कर दिए।  इस तरह का आचरण एवं कार्यवाही मैने जीवन में पहली बार किस उच्च अधिकारी की देखी।   फिर सोचा यदि इस तरह के अधिकारी मेरे देश को मिल जाय तो यह देश फिर से सोने की चिड़िया का देश हो जाय।  फिर न तो किसी काम के लिए कहीं किसी को भटकना पड़े न परेशान होना पड़े।  दीपावली के पवन पर्व पर इस तरह के व्यवहार वाले समस्त अधिकारियों  के मंगलमय जीवन की कामना के साथ उनके आदर्शमय कार्य प्रणाली की इस उद्देश्य के साथ याद करता हूँ , उसका आलोक देश से तिमिर भगाने में सहायक होगा।  - भरत मिश्र प्राची , पत्रकार ,  9414541326 

No comments: