. जयपुर का विकास होना चाहिए पर जयपुर की
प्राचीन धरोहर की रक्षा भी की जानी चाहिए। मेट्रो की योजना जयपुर के बाहर चारो ओर से रिंग रोड के
माफिक की जाय तो ज्यादा सुगम , सरल एवं कम खर्च की सुविधा युक्त योजना बन सकती है। जयपुर के भीतर लो फ्लोर वाली बस की योजना यातायात
में ज्यादा सुविधाजनक आज बानी हुई है , इसकी संख्या में वृद्धि की जाने की जरुरत है। जयपुर के सरकारी कार्यालय , सचिवालय आदि आज भी भीतर से लो फ्लोर बस से जुड़े नहीं है। आज भी मुख्य मार्ग पर मिनी बसों का चलन है जिसमें जनता भेड बकरियों की तरह भरी जाती है। कोई टिकट नहीं। जो मर्जी आयें मांग लें, जहाँ मर्जी आएं रोक लें। जिसमे ज्यादा देर तक खड़े रहने पर कमर टेढ़ी
हो जाये। इस दिशा में जनहित में सरकार एवं जनप्रतिनिधि को ध्यान देना चाहियें - भरत मिश्र प्राची।
पत्रकार , जयपुर
3.
9. साहित्य -मंडल
श्री नाथद्वारा के तत्वावधान में १५ सितम्बर २०१४ को आयोजित हिंदी लाओ देश बचाओ ! समारोह में
राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र खेतडी नगर से निरंतर २८ वर्षो से भारतीय जनभाषा की
विशिष्ट हिंदी मासिक पत्रिका कंचनलता के संपादक डा. भरत मिश्र प्राची को संपादन
में उल्लेखनीय कार्य के लिए संपादक रत्न से सम्मानित किया गया। - अशोक
10. राजस्थान राज्य के हुए विधान सभा चुनाव में ४ में से ३ सीट पर
कांग्रेस जीत दर्ज कराकर यह साबित कर दिया कि जनता बढ़ती महंगाई के लिए
किसी को भी माफ़ नहीं कर सकती। अभी हाल में ही हुए विधान सभा चुनाव में महंगाई एवं
बेरोजगारी को लेकर जिस भाजपा के नेतृत्व में पूरा विश्वास जताया , उसी के प्रति इस दिशा में कोई विशेष बदलाव न पाकर निराश
प्रदेश की अवाम ने अविश्वास दर्शा दिया। इसे प्रदेश की भाजपा सरकार को गंभीरता से लेंना चाहिए - प्राची
11. हिंदी दिवस पर चल रहे पखवाड़े के दौरान मुख्य
ये प्रसंग !
जहां गुड
मॉर्निंग से सूर्योदय होता हो , गुड इवनिंग से सूर्यास्त ! निशा की गोद में सोये -सोये
इंसान बुदबुदाता हो , गुड नाईट - गुड नाईट ! किसी के पैर पर पैर पड़ जाय , तो सॉरी , गुस्सा आने पर , नानसेंस , इडियट , गेट आउट आदि की ध्वनि गूंजती हो , कैसे कोई कह सकता है कि यह यहीं देश है , जहाँ की ९० प्रतिशत जनता हिंदी जानती ,समझती एवं बोलती है। जहां का हिंदी के
नाम रोटी कहने वाला हिंदी अधिकारी अपने आप को हिंदी ऑफिसर कहना बेहत्तर समझता है। अंग्रेजी आती हो या नहीं पर अंग्रेजी का अख़बार
मंगाना , एक फैशन जहां बन गया हो , जहां की संसद में आज भी गुलामी की भाषा
अंग्रेजी का वर्चस्व कायम हो , कैसे कोई कह सकता कि यह वहीं देश है , जहां की राष्ट्रभाषा हिंदी है।
बहुत सरल सबकी परिभाषा ,दे सकती हिंदी ही भाषा !
जन जीवन उत्थान की आशा , हिंदी है इस देश की भाषा !!
- भरत मिश्र प्राची , पत्रकार , जयपुर
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