Sunday, June 13, 2010

काव्य संसार

एक तंत्र
जहां एक ही राजा राज करे , वहां प्रजातंत्र का क्या होगा ?
शासक शोषक जब बन जाये, फिर आम प्रजा का क्या होगा ?
जिनका कोई अस्तित्व रहा , उन पर अब भरोसा क्या होगा ?
अनपढ़ देता उपदेश जहां ,
अन्धा बन जाए नरेश जहां ,
दल बदलू का परिवेश जहां ,
हर रोज बदलते वेष जहां ,
पल-पल पनपता क्लेश जहां ,
आपस में रहता द्वेष जहां ,
आमद पर हावी ऐश जहां ,
घाटे में रहता शेष जहां ,
जिस जगह ऐसी हालत हो ,
उसका भविष्य अब क्या होगा ?
शासक शोषक ----------------------------------क्या होगा ?
शोषण करना अधिकार जहां ,
बन जाए जुल्म श्रृंगार जहां ,
मिलती हर पल दुत्कार जहां ,
हंटर करता सत्कार जहां ,
अन्याय पूर्ण व्यवहार जहां ,
मानवता की फटकार जहां ,
दबती जाए चीत्कार जहां ,
उभरे न कभी हुंकार जहां ,
जिस देश की ऐसी हालत हो ,
मजदूरों का अब क्या होगा ?
शासक शोषक ------------------------------क्या होगा ?
लगता माया बाजार जहां ,
काले धन का व्यापार जहां ,
हेरा -फेरी हो आधार जहां ,
जहरीला हर आहार जहां ,
कलुषित हर एक विचार जहां ,
मतलब के है सब यार जहां ,
पलता रहे गुनाहगार जहाँ
बने तस्कर कर्णधार जहां ,
जिस देश की ऐसी हालत हो ,
शराफत का अब क्या होगा ?
शासक शोषक -----------------------------------क्या होगा ?
नशीला आम दरबार जहां ,
रंगीला है कारोबार जहां ,
रहता हो नम्बरदार जहां ,
ऐयाशियों की भरमार जहां ,
वासना का उठता ज्वार जहां ,
बढ़ता जाये व्यभिचार जहां ,
छल जाता हो श्रृंगार जहां ,
जिस देश की ऐसी हालत हो ,
अबलाओं का अब क्या होगा ?
शासक शोषक --------------------------------क्या होगा ?
है सही नहीं आचार जहां ,
जी हाँ जी हाँ सरकार जहां ,
पक्षपात चयन का सार जहां,
सौतेला सा व्यवहार जहां ,
अंगूठा टेक सरकार जहां ,
सब पढ़ा लिखा बेकार जहां ,
बढती जाए बेगार जहां ,
चमचो का हो विस्तार जहां ,
जिस देश की हालत ऐसी हो ,
सच्चाई का अब क्या होगा ,
शासक शोषक ------------------------------क्या होगा ?









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