1
नौकरी देने की तो , बात करे सरकार ,
उद्योग -धंधे हैं नहीं , है कहां रोजगार ।
है कहां रोजगार , बता दे अब तो कोई ,
बंद पड़े सब द्वार , सरकार भी अब सोई ।
कह प्राची कविराय , देखकर हालत ऐसी,
युवा कहां पर जाय , हो रही ऐसी -तैसी ।
2
आमजन परेशान हैं , घाटे में व्यापार ,
कालाधन रूका नहीं
, चालू लूट
बजार ।
चालू लूट बजार,सभी दल शामिल
इसमें,
कोई हो सरकार
, पिसे जनता
आखिर में
।
कह
प्राची कविराय
, देख हालात देश
का ,
वर्णन किया न
जाय ,बिगड़े इस
परिवेश का
।
- भरत
मिश्र प्राची
, जयपुर
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