Thursday, March 10, 2016

वतर्मान हालात में सभी को आरक्षण देना समय की मांग !

वतर्मान हालात में सभी को आरक्षण देना समय की मांग !
-डॉ. भरत ​मिश्र प्राची
    देश  की आजादी के बाद गरीबी की रेखा से नीचे दबे तबकों के सामा​जिक एवं आर्थिक  उत्थान के लिये  लागू आरक्षण आज ​विकृृत रूप धारण कर पूरे देश  के समक्ष संकट पैदा दिया है जहां इसका आधार अब गरीबी होकर जा​तिगत पैमाना हो गया है। जो जा​तियां इस आरक्षण के पैमाने में एक बार चुकी है, उनके सामा​जिक एवं आर्थिक  स्तर पर उत्थान होने के बाद भी इस परिवेश  से बाहर नहीं ​निकलना चाहती बल्कि  इस आरक्षण का लाभ लेने के ​लिये  दे की अन्य जा​तियां भी मुखर हो चली है। ​जि स कारण आज अनुसू​चित जाति , जनजा​ति  के आलावे ​पिछड़ा वर्ग , अ​ति  ​पिछड़ा वर्ग  इस दायरे में गये है। जब से इस आरक्षण का उपयोग खुलकर राजनी​तिक लाभ के ​लिये किये जाने लगा है तब से इसे हटाना या इसमें प​रिवतर्न करना ज​टिल हो गया है। यह समस्या ​दिन पर ​दिन गंभीर होती जा रही है। और आज इसके गंभीर प्र​तिकूल प्रभाव साफ - साफ देखे जा रहे है।
    दे में जब से मंडल आयोग लागू हुआ, तब से आरक्षण की मांग अन्य जा​तियों में भी मुखर हो चली मंडल आयोग के ​विरोध में  राजस्थान में जब से राजनीतिक लाभ पाने के ​लिये जाटों को ​पिछड़े वर्ग  के तहत आरक्षण से जोड़ा गया तब से इस वर्ग  में इस सविधा का लाभ उठा रही  जा​तियों में आक्रोश  का स्वर उभर आया। इस वर्ग  के गुजर  विरोध स्वरूप सड़क पर उतर आये, ​जिससे  सामा​जिक एवं आर्थिक रूप से जो राज्य को नुकसान हुआ। उसकी भरपाई  कर पाना मुश्किल  है। धीरे - धीरे इस तरह के आंदोलन अन्य राज्यों एवं अन्य अनारक्षित  जा​तियों में उभरने लगे, ​जिससे देश  को काफी आ​र्थिक  नुकसान हर वर्ग को  उठाना पड़ रहा है। गुजरात में पटेल समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर सड पर उतर आया तो ह​रियाणा , उतर प्रदेश   एवं राजस्थान के भरतपुर , धौलपुर आ​दि  ​जिले के अनारक्षित  जाट इस मांग को लेकर सड़क पर उतर आये है। वतर्मान में इस आंदोलन के तहत इनके उग्र रूप को देखा जा सकता है जहां इस आंदोलन से आवागमन तो प्रभा​वित हो ही रहा है, राजकीय सामानों को नुकसान पहुंचाते हुए आंदोलन धीरे - धीरे उग्र रूप धारण करता जा रहा है। इस तरह के हालात ​निश्चित   रूप से देश  के ​विकास में बाधक है। समय - समय पर आरंक्षण की मांग अन्य अनारक्षित  जा​तियों में भी उभरती देखी जा सकती है। आरक्षण दर आरक्षण की आग ​दिन पर ​दिन बढ़ती ही जा रही है और राजनै​तिक दल इसकी तपस में अपनी ​सियासती रोटी सेंकने में गूल है। इसी कारण इसका सही ​निदान आज तक नहीे हो पाया है। आरक्षण अब स्वयं में समस्या का रुप ले चुका है।
    इस देश  में आरक्षण गरीबी से जुड़कर राजनी​तिक प​रिवेश  से जुड़ चला है। य​दि  गरीबी की बात की जाय तो देश  की कोई  ऐसी जा​तियां नहीं है ​िजसमें गरीब लोग नहीं हो आज हर जा​तियों में आ​र्थिक ​पिछड़ेपन से जुड़े लोग है तो सम्पन्न भी। आर्थिक  रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण से जोड़ा जाना चाहिए, आ​र्थिक  सम्पन्न लोगों को इस प्रक्रिया  से अलग ​किया जाना चा​हिए चाहे वे ​किसी जा​ति , धर्म  के हो पर इस देश  में राजनी​ति क  कारणों  से  ऐसा कर पाना संभव नहीं है। इस तरह के हालात में सं​विधान में आवश्यक  संशोधन कर अनारक्षित  समस्त जा​तियों को भी आरक्षण प्रणाली से जोड़ ​दिया जाना चा​हिए जिससे इस प​रि वेश  से उभरते आंदोलन को रोका जा सके आ​र्थिक  सम्पन्न लोगों को ​जि स तरीके से गैस सब्सीडी से अलग ​किया जा रहा है , वैसे ही आ​र्थिक  सम्पन्न लोगों को आरक्षण से अलग करने के प्रावधान सं​विधान में लाना चा​हिए। आज आरक्षण पूर्ण  रूप से आ​र्थिक  आधार पर होकर जा​तिगत आधार हो चुका है, ​जिसके कारण आरक्षित  जा​तियों में सम्पन्नता आने पर ज्यों का त्यों बना हुआ है। इस  तरह के हालात ​निश्चित  रूप से अन्य जा​तियों में आक्रोश  के कारण बनते जा रह है। आरक्षण से लेकर उभरते हालात को देखते हुए वतर्मान समय में इसे हटाने की पृष्ठभूमि  के वजाय सभी को आरक्षण से जोड़ना समय की मांग हो गइर् है, ​जि सके ​लि ये सं​वि धान में आवश्यक संशो धन ​िकये जाने की आवश्यकता  है।
-स्वतंत्र पत्रकार, डी-96, IIIए, खेतड़ीनगर- 333504 (राज.). Email : prachi120753@gmail.com
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