Thursday, December 28, 2017

je par rahal guman !

भोजपुरी रचना 
जे पे रहल गुमान !
फुलवा  जइसन  देहिया के का हो गईल राम ,
सुखी गईल कांटा जइसन ,जे पे रहल गुमान 
ना सोचनी कबो अइसन दिन आई जिनगीं में ,
उड़त रहनी ख्वाब में,ना दिहनी बिल्कुल ध्यान
अनाप सनाप जे भी मिलल,चुप चाप खा गइनी,
मेहनत   कइनी , दिहनी  देहिया के आराम
जे भी रहल पास में , मौज - मस्ती में उड़वनी,
सोचनी ना हम, बुढ़ापा में  कइसे चली काम
सुखवा के दिन में ,जे साथे -साथे घुमत रहल ,
नजर अब आवत नइखन,सब भूल गईले राम।
केकरा के कहीं आपन , केकरा के कहीं गैर ,
जे भी आइल पास में हमरा ,लुटत गइल राम।
जवानी के जोश में ,सबकुछ भूलत गइनी हम ,
आगे -पीछे का होइ  , ना सोचनी कबो  राम
फुलवा  जइसन  देहिया के का हो गईल राम ,
सुखी गईल कांटा जइसन ,जे पे रहल गुमान 

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