Thursday, November 24, 2016

काला धन रोकने की दिशा में नोट बंदीकरण के साथ सही व्यवस्था का होना जरूरी !
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भरत मिश्र प्राची
     
देश में  काला धन रोकने की दिशा में 500 एवं 1000 रूपये के नोटों को तत्काल बंद कर नये नोट लाना साहसिक कदम तो है, जिससे अवैध काला धन के गोरखधंधे पर तत्काल प्रतिबंध लगेगा चुनाव में होने वाले अनावश्यक खर्च, जिसमें काला धन की भूमिका काफी महत्वपुर्ण होती है, उसपर रोक लगेगी सरकारी कोष की आय बढ़ेगी, जो देश के विकास कार्य में काम आयेगी। पर केवल नोट परिवर्तन की प्रक्रिया से ही देश में काला धन कभी नहीं रूक सकता जब तक देश में  सही सिस्टम को लागू नही किया जाय। वर्तमान समय में सभी निजी व्यवस्थाएं सरकारी नियंत्रण से बाहर है। सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं सरकारी, अर्द्ध सरकारी, सहकारी संस्थाएं से जुड़े ही सही मायने में सरकार को टैक्स दे पाते। इनके अलावे बड़े से बड़े , छोटे से छोटे टैक्स तो देते नहीं, सही आय को भी छिपा जाते है जिनपर सरकार का कोई लगाम नहीं इस दिशा में देश में संचालित निजी व्यवस्थाएं एवं इन व्यवस्थाओं के माध्यम से काला धन उगाही के स्त्रोत पर मंथन करना बहुत जरूरी है।
     
देश का अधिकांश दुकानदार उपभोक्ताओं को बिना बिल का सामान देता है जिससे सेल्स टैक्स को साफ - साफ बचा जाता है। उसे कितनी आमदनी हुई इसका कोई आकड़ा नहीं होने से आयकर को भी बचा लेता है। निजी क्षेत्र में संचालित सभी शिक्षण संस्थाएं आज के समय में स्वतंत्र है। अपना - अपना पाठ््य क्रम, अपना - अपना यूनीफार्म जिसे लेने के लिये निर्धारित दुकानें, जहां शिक्षण संस्थान का कमीशन तय होता है। इसके अलावे मनमाने ढ़ंग से लिये जा रहे हर शिक्षण संस्थानों का अपना - अपना शिक्षण , प्रवेश, अन्य शुल्क डोनेशन आदि जिसके लिये सरकार की ओर से कोई दिशा निर्धारण नहीं है। निजी क्षेत्र में संचालित चिकित्सालय एवं अपने अपने घरों पर राजकीय चिकित्सकों द्वारा संचालित चिकित्सा कार्य इलाज पर लिये जा रहे मनमाने ढ़ंग से शुल्क जिसपर सरकार की ओर से कोई मापदंड तय नहीं इसी तरह देश में अवैध रूप से संचालित  निजी बसें जो सड़क परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाती सड़कों पर हर रोज दौड़ती है, यात्रियों को तो टिकट देती नहीं उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने का प्रावधान ही कहां ? यात्रियों को टिकट नहीं देने से सरकारी कोष में आने वाले यात्री टैक्स तो बचाते ही है , आय को भी छिपा जाते। इस तरह की आय जिसका कोई आकड़ा नहीं काला धन का स्वरूप धारण करता है।  
     
इस तरह के परिवेश से शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, बाजार एवं आम लोगों सें जुड़े सभी निजी संस्थाएं , जहां सरकार की ओर से कोई दिशा निर्धारण नहीे है काले धन एकत्रित होने के उदगम स्थल है। सही व्यवस्था नहीं होने एवं सरकर की ओर से कोई गाइड लाइन नहीं होने से केवल नोट का स्वरूप बदल देने मात्र से देश में काला धन एकत्रित करने की प्रक्रिया नहीं रोकी जा सकती। काला धन को रोकने के लिये नोटों के बंदीकरण के साथ - साथ देश में संचालित सभी व्यवस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण एवं दिशा निर्धारण होना बहुत जरूरी है। इसके लिये सरकार को निजी क्षेत्र में संचालित समस्त शिक्षण संस्थाओं के यूनीफार्म, पाठ््य पुस्तकें, फीस आदि की दिशा तय करनी होगी एवं इस दिशा में चल रहे मनमनाने रवैये को बंद करने हेतु इन्हें एकसूत्र में बांधना होगा चिकित्सा क्षेत्र में संचालित निजी सेवाओं के मापदंड तय करने होंगे एवं चिकित्सक के अनुभव डिग्री के आधार पर चिकित्सा शुल्क इलाज के पैमाने तय करने होंगे जिसमें एकरूपता नजर आये। सभी निजी संचालित बसों का मार्ग , किराया सामाजिक सुरक्षा तय होनी चाहिए एवं उन्हें भी प्रति यात्री को टिकट देने का प्रावधान होना चाहिए जिससे सही आय का पता चल सके एवं सरकारी कोष में राशि पहुंचे। हर दुकानदार क्रय की रसीद देने के बने नियम को पालन करने के लिये पाबंद करना होगा जिससे सही आय का स्वरूप उजागर हो सके। चुनाव, उद्योग, बाजार, व्यापार, ठेकादारी ,स्वयंसेवी संस्थाएं, राजनीतिक सामाजिक पृृष्ठभूमि आदि पर सरकारी नजर नियंत्रण रखना होगा, उसकी दिशा दशा तय करनी होगी जहां की स्वतंत्रता एवं अनदेखी काला धन को फिर से एकत्रित करने की पृृष्ठिभूमि उजागर कर सकती है।
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